Saturday, November 30, 2019

चलो मन के किसी कोने से देखें अपनी कहानी

लगता था जैसे सब कुछ जम सा गया मन के किसी कोने में एक तीखा दर्द जो न  जीने देता है और ना ही मरने ।सोच कुछ  बनाता  है आदमी और हो कुछ और ही जाता  है ।अपना बचपन  जैसे सामने खड़ा हो जाता है, जिसे कभी हमने नही पसंद किया। सोच थी की जो गल्तियां  की हमारे अपनो ने ।नही हमने दोहरानी है ।पर क्या पता था,जिस जगह माँ  बाप खडे थे ,उसी मोड  पर हम भी आ जायेगे ।वही मासूमियत फिर कुचल दी जायेगी, अपने अहंकार  के चलते । सोचा तो बिल्कुल  भी नही था कि अपना बचपन लौट  आयेगा  ।देखो आज अपने को भी कटघर की दिवारो  में ।खूब  लगा लिया इलजाम  अपने माता पिता पर ।हो सके तो खूबियाँ  अपना लो सारी ।उनकी  हो सके  तो बच सको कमियों  से उनकी ।मत दोबारा करो बर्बाद बचपन ।बहुत ही मासूम और सुन्दर होता है जो कभी खुद के लिये नही चाहा  तो मत लौटना कभी एक और सुन्दर बचपन को।
Janamdin की ढेर सारी शुभकामनायें
श्रेष्ठ
माँ  की बातें  अपने बच्चों  के नाम

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